नई दिल्ली: 76वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस साल लाल किले पर पारंपरिक 21 तोपों की सलामी के दौरान पहली बार स्वदेश विकसित होवित्जर तोप का इस्तेमाल किया गया। जिसकी मारक क्षमता 45 किलोमीटर है। इस तोप को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है।
भारत को 21 तोपों की सलामी की परंपरा ब्रिटिश साम्राज्य से विरासत में मिली है। प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले पर तिरंगा फहराने के बाद राष्ट्रगान बजाया जाता है, उसके बाद 21 तोपों की सलामी दी जाती है। 21 तोपों की सलामी देश का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। इसमें करीब 122 जवान शामिल होते हैं। भारत में, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और अन्य अवसरों के साथ-साथ राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान तोपों की सलामी दी जाती है।
तोप का इस्तेमाल करने की पहल स्वदेश में ही हथियारों और गोला-बारूद विकसित करने की भारत की बढ़ती क्षमता का प्रमाण होगी। समारोह के लिए तोप में कुछ तकनीकी बदलाव किए गए हैं। होवित्जर तोप एक मिनट में सात गोले दाग सकती है। ये माइनस 30 से लेकर 75 डिग्री तापमान तक सटीक फायर कर सकते हैं। ये गन ब्रिटिश 1 पाउंड गन से कई गुना बड़ी है ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से नौंवी बार ध्वजारोहण करते हुए राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि हमें नए संकल्प के साथ नई दिशा की ओर कदम बद़ाने की जरूरत है। आजादी के 75 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि लाल किले से सलामी के लिए देश में निर्मित तोप का इस्तेमाल किया गया। आत्मनिर्भर भारत, ये हर नागरिक का, हर सरकार का, समाज की हर एक इकाई का दायित्व बन जाता है। आत्मनिर्भर भारत, ये सरकारी एजेंडा या सरकारी कार्यक्रम नहीं है। ये समाज का जनआंदोलन है, जिसे हमें आगे बढ़ाना है।
—————- इंडिया न्यूज़ स्ट्रीम