लखनऊ में राजकीय बाल गृह में 05 दिनों में 04 बच्चियों की मौत हो गई। माना जा रहा है कि बाल गृह में उचित देखभाल न होने से बच्चों को ठंड लग गई जिससे उनकी मौत हो गई। हालांकि अभी तक मौतों की सही वजह पता नहीं चल सकी है।
बाल संरक्षण आयोग के सदस्य अनीता अग्रवाल ने बताया कि बाल गृह की अंतरा, लक्ष्मी, आयुषी व दीपा की मौत हो चुकी है, जबकि मून का इलाज चल रहा है। इसके अलावा मंगलवार को ही प्रयागराज में एक और बच्ची का रेस्क्यू हुआ। बच्ची के पिछले हिस्से में एक बड़ा घाव है।
डीपीओ, विकास सिंह ने बताया कि इस मामले पोस्टमॉर्टम करवाने के साथ मजिस्ट्रियल जांच का आदेश दिया है। बाल गृह अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए तत्काल रिपोर्ट मांगी गई है। बाल गृह प्रबंधन का कहना है कि बच्चियां गंभीर हालत में बाल गृह लाई गई थीं।
डीपीओ ने बाल गृह अधीक्षक किंशुक त्रिपाठी को कारण बताओ नोटिस जारी कर गुरुवार तक जवाब मांगा है। कहा कि इलाज के स्तर पर बाल गृह से लापरवाही नहीं हुई है। बच्चों के बीमार होने पर उन्हें तत्काल अस्पताल पहुंचा कर इलाज करवाया गया। हालांकि बच्चे क्यों नहीं बच पा रहे हैं, यह तो डॉक्टर ही बता सकेंगे।
फिर भी बाल गृह में किस स्तर पर लापरवाही हुई है, इसकी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होगी।
बता दें कि बाल गृह में कुल 75 बच्चे रह रहे हैं। यह राजकीय बालगृह में नवजात से लेकर दस साल के बच्चे रखे जाते हैं। यह महिला कल्याण विभाग की ओर से संचालित होता है। यहां निराश्रित, लावारिस नवजात शिशुओं को बाल कल्याण समीति के आदेश से रखा जाता है।
इस बाल गृह में 28 नवजात सहित कुल 75 बच्चे रह रहे हैं। उनका पालन पोषण उत्तर प्रदेश का महिला कल्याण विभाग करता है। प्रदेश में कहीं भी पाए गए लावारिस शिशु को यहां रखा जाता है। उनके इलाज से लेकर खानपान आदि सभी जिम्मेदारियां इस बाल गृह की होती है।