मुंबई: फादर स्टैन स्वामी की जमानत का इंतजार करते-करते ही मौत के बाद भीमा कोरेगांव षड्यंत्र मामले के आरोपियों के रिश्तेदारों और परिजनों ने एक बयान जारी कर दोहराया है कि अन्याय के खिलाफ वह मूक दर्शक नहीं बने रहेंगे और कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहेंगे।
मीनल गाडलिंग, रॉय विल्सन, मोनाली राऊत, कोयल सेन, हर्षाली पोतदार, शरद गायकवाड़, मायशा सिंह, वाय फरेरा, सुसान अब्राहम, पी हेमलता, साहबा हुसैन, रमा तेलतुंबड़े, जेनी रोवेना, सुरेखा गोरखे, प्रणाली परब, रुपाली जाधव, फादर जो जेवियर आदि के जारी इस बयान में कहा गया है कि फादर स्टैन स्वामी के निधन से वह सदमे में हैं। यह प्राकृतिक मौत नहीं है बल्कि बेरहम सत्ता द्वारा एक सीधे-सादे व प्यारे इंसान की सांस्थानिक हत्या है।
उन्होंने कहा है कि फादर स्टैन की मौत इस तरह – अपने प्रदेश झारखंड से दूर – नहीं होनी चाहिए थी।
फादर स्टैन 16वें व्यक्ति थे, जिन्हें भीमा कोरेगांव प्रकरण में गिरफ्तार किया गया था और जेल भेजा गया था। 84 वर्षीय फादर स्टैन पार्किंसन मर्ज से पीड़ित थे और गिरफ्तार किये आरोपियों में सबसे बुजुर्ग और शारीरिक रूप से कमजोर थे।
बयान में इसे जोर देकर रेखांकित किया गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान फादर स्टैन को जेल में रखा गया जबकि 8 अक्तूबर 2020 को उन्हें गिरफ्तार करने से पहले उनके खिलाफ जांच पूरी हो चुकी थी और उनके फरार हो जाने की कोई आशंका नहीं थी। उसके बाद उन्हें स्ट्रा व सिप्पर दिये जाने से मना किया गया। स्वास्थ्य बिगड़ने के बावजूद स्वास्थ्य आधार पर जमानत दिये जाने से मना किया जाता रहा। उनके कोविड ग्रस्त होने का पता भी बंबई उच्च न्यायालय के निर्देश पर उन्हें अस्पताल ले जाने के बाद चला।
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान फादर स्वामी ने अदालत में कहा था कि वह ज्यादा दिन जीने वाले नहीं हैं और अपने लोगों के बीच रांची में मरना चाहते हैं। हमारी न्यायिक व्यवस्था ने उनका यह अनुरोध तक नहीं माना।
बयान में कहा गया है कि वह फादर स्टैन की मौत के लिए लापहरवाह जेलों, उदासीन अदालतों और बदनीयत जांच एजेंसियों को जिम्मेवार मानते हैं।
बयान में स्पष्ट किया गया है कि जो अभी जेलों में हैं वह उनके न्याय, उनकी सुरक्षा के लिए आवाज उठाते रहेंगे जैसा कि फादर स्टैन ने भी कहा था, “हम मूक दर्शक बने रहने से इंकार करते हैं और कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं।
—इंडिया न्यूज़ स्ट्रीम