दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया से हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई की मांग की

सोल । दक्षिण कोरिया के एकीकरण मंत्री किम जंग-हो ने शुक्रवार को उत्तर कोरिया से एक दक्षिण कोरियाई मिशनरी और पांच अन्य नागरिकों को तत्काल और बिना शर्त वापस भेजने का आह्वान किया। उन्होंने उत्तर कोरिया द्वारा वर्षों से मनमाने ढंग से हिरासत में रखने की निंदा करते हुए इसे गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन का मामला बताया।

योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरिया के शीर्ष अधिकारी ने मिशनरी किम जंग-वुक की 2013 में प्योंगयांग में गिरफ्तारी के 4,000 दिन पूरे होने पर एक बयान जारी किया। दक्षिण कोरिया की जासूसी एजेंसी के लिए जासूसी करने के आरोप में उन्हें आजीवन कठोर श्रम की सजा सुनाई गई थी।

साल 2014 में किम कूक-की और चोई चुन-गिल दो अन्य दक्षिण कोरियाई मिशनरियों को भी इसी तरह के आरोपों में उत्तर कोरिया में हिरासत में लिया गया था। साथ ही तीन पूर्व उत्तर कोरियाई भगोड़ों (जिन्होंने दक्षिण कोरियाई नागरिकता प्राप्त कर ली थी) को 2016 में बंदी बना लिया गया था।

किम ने दक्षिण कोरिया के आधिकारिक नाम कोरिया गणराज्य के संक्षिप्त नाम का प्रयोग करते हुए बयान में कहा, “आरओके सरकार उत्तर कोरिया के अवैध और मानवाधिकार उल्लंघनों की निंदा करती है तथा उत्तर कोरिया से, जो प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समझौतों का एक पक्ष है, दृढतापूर्वक आग्रह करती है कि वह अवैध रूप से हिरासत में लिए गए हमारे नागरिकों को तत्काल और बिना शर्त रिहा करे।”

मंत्री ने छह व्यक्तियों को निष्पक्ष और सार्वजनिक सुनवाई के बिना अनुचित और अत्यधिक सजा सुनाने, गिरफ्तारी और हिरासत के दौरान बुनियादी प्रक्रियात्मक न्याय प्रदान करने में विफल रहने तथा मनमाने ढंग से हिरासत जारी रखने के लिए उत्तर कोरिया की कड़ी निंदा की।

उन्होंने कहा, “उत्तर कोरिया को हमारे नागरिकों के जीवन और सुरक्षा से संबंधित हमारी वैध मांगों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए तथा उसे इस मुद्दे की गंभीरता को स्पष्ट रूप से पहचानना चाहिए, साथ ही सार्वभौमिक मानवाधिकार मानदंडों के बार-बार उल्लंघन के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की कड़ी चेतावनियों को भी स्वीकार करना चाहिए।”

किम ने दक्षिण कोरियाई अपहृतों, बंदियों और युद्धबंदियों के मुद्दे को सुलझाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग बढ़ाने के प्रयासों की भी शपथ ली, तथा यह सुनिश्चित करने की बात कही कि जापानी अपहृत और अन्य देशों के लोग अब उत्तर कोरिया के मानवाधिकार हनन का शिकार न बनें।

छह दक्षिण कोरियाई बंदियों के अलावा, 1950-53 के कोरियाई युद्ध के बाद उत्तर कोरिया द्वारा अपहृत किये गये अनुमानित 3,835 लोगों में से 516 दक्षिण कोरियाई अभी तक घर नहीं लौट सके हैं।

अनुमान है कि उत्तर कोरिया में हिरासत में लिए जाने के बाद कम से कम 60,000 युद्ध बंदी या तो घर वापस नहीं आए या लापता हो गए। 1994 से अब तक कुल 80 युद्ध बंदी घर वापस आ चुके हैं, लेकिन मार्च तक केवल नौ ही जीवित बचे।

–आईएएनएस

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