शशि थरूर ने जेजीयू में दर्शन, राजनीति एवं अर्थशास्त्र में बीए (ऑनर्स) पाठ्यक्रम लॉन्च किया

नई दिल्ली । लोकसभा सांसद शशि थरूर ने कहा है कि ओपी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र, राजनीति एवं अर्थशास्त्र प्रोग्राम पाठ्यक्रम में जीवंतता और उत्साह का संचार करेगा। यह ह्यूमैनिटीज में दृढ़ तथा व्यापक शिक्षा प्रदान करता है और पत्रकारिता से लेकर राजनीति, उद्यमशीलता से लेकर नागरिक सक्रियता, शिक्षा से लेकर कानून तक कई तरह के प्रोफेशंस के लिए एक लॉन्च पैड है, जिनमें से सभी क्षेत्रों में दुनिया भर में पीपीई की पढ़ाई कर चुके छात्रों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है और अक्सर दुनिया में सकारात्मक बदलाव लेकर आए हैं।

शशि थरूर अगस्त 2025 में ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) में शुरू होने वाले चार वर्षीय बैचलर ऑफ आर्ट्स (ऑनर्स) इन फिलॉसफी, पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स (पीपीई) के शुभारंभ पर बोल रहे थे।

लेखक और पूर्व अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक, वर्तमान में 2009 से केरल के तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सांसद और 18 बेस्टसेलिंग पुस्तकों के लेखक थरूर ने विभिन्न विषयों में कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों की शानदार श्रृंखला के साथ देश के अग्रणी संस्थानों में से एक के रूप में तेजी से उभरने के लिए जेजीयू की सराहना की।

शशि थरूर ने कहा, “आज, मैं कहूंगा कि पीपीई जैसा कोर्स पहले की तुलना में आज के समय में कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारी वैश्विक व्यवस्था तेजी से गतिशील युवक-युवतियों की तलाश कर रही है, जो न केवल वैज्ञानिक, तकनीकी और उद्यमशीलता की दृष्टि से प्रतिभाशाली हैं, बल्कि व्यापक सोच वाले, दयालु, विद्वान, पारस्परिक संबंधों में कुशल और मानवतावादी मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। ह्यूमैनिटीज लैटिन शब्द ह्यूमैनिटास से निकला है, जो पहली शताब्दी ईसा पूर्व से संस्कृति, शिक्षा, परिष्कार और आज के मानवीय उत्कृष्टता और सद्गुणों के संयोजन को दर्शाता है, और इतनी शताब्दियां बीत जाने के बाद भी, ह्यूमैनिटीज हमें मानवीय बनाने के उस अपरिहार्य उद्देश्य का उपकरण बना हुआ है। यह अध्ययन आज के समय में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, एक ऐसे युग में जो विदेशियों के प्रति घृणा, अति राष्ट्रवाद, समुदाय और नस्ल के आधार पर शत्रुता, विस्तारवादी युद्ध और नरसंहार से भरा हुआ है। इस अध्ययन का उद्देश्य मानवतावादी मूल्यों के क्षय को पलटने का प्रयास करना चाहिए, जिसके बिना लोकतंत्र, उदार संवैधानिकता और कानून का शासन निष्प्राण है।”

“पीपीई के छात्र जन-हितैषी और देशभक्त नागरिक बन सकते हैं, जो भविष्य के दूरदर्शी और परिवर्तन निर्माता के रूप में अपने कल्पनाशील दिमाग, मानवतावादी विश्वास और नवाचार की क्षमता के दम पर न केवल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की शुद्धतावादी समझ और ह्यूमैनिटीज की अत्यधिक गुलाबी अवधारणा के बीच तनाव को कम करने के लिए, बल्कि कुछ देशों और हमारी दुनिया के सबसे गंभीर संकटों को हल करने में भी मदद करेंगे।”

पीपीई कार्यक्रम 1920 के दशक में ब्रिटेन में छात्रों को सार्वजनिक सेवा में प्रशिक्षित करने और बौद्धिक क्षमताओं को विकसित करने के लिए स्थापित किया गया था ताकि वे समाज को लाभान्वित कर सकें। इसमें छात्रों और भविष्य के पेशेवरों के बीच विश्लेषणात्मक और आलोचनात्मक सोच कौशल विकसित करने के लिए विभिन्न विषयों को एकीकृत किया गया है। हालांकि, इसे पहली बार लॉन्च किए जाने के बाद एक सदी में – दो विश्व युद्धों, शीत युद्ध से लेकर बहु-ध्रुवीकरण, तकनीकी क्रांति, सामाजिक उथल-पुथल और तेजी से बदलाव तक – दुनिया पूरी तरह से बदल गई है। डिजिटल दुनिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा परिभाषित एक और युग की शुरुआत में, यह महत्वपूर्ण है कि पीपीई कार्यक्रम बहु-विषयक और अंतःविषयक हो और वैश्विक दुनिया की कहीं अधिक सूक्ष्म समझ को प्रोत्साहित करे।

ओपी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार ने प्रसिद्ध लेखक, सार्वजनिक बुद्धिजीवी, राजनीतिज्ञ और पूर्व अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक का स्वागत किया और कहा, “हम तेजी से एक ध्रुवीकृत दुनिया की तरफ बढ़ रहे हैं। जब राजनीति और दर्शन को अर्थशास्त्र के अध्ययन के साथ जोड़ा जाता है, तो हम आर्थिक समस्याओं की समझ को मानवीय बनाने और संस्थानों के लिए अर्थशास्त्र का अध्ययन करने के लिए बेहतर दृष्टिकोण रखने की क्षमता पैदा करते हैं। युवाओं को जटिलता को समझना और उसकी सराहना करने में सक्षम होना चाहिए, विशेष रूप से वैश्विक राजनीति, विवाद समाधान और सूक्ष्म समझ में, और चुनौतीपूर्ण तथा जटिल मुद्दों पर उनमें असहमति होनी चाहिए। सम्मानजनक असहमति रखना और उस सम्मानजनक असहमति के लिए जगह बनाना कुछ ऐसा है, जिसे सही तरीके से सीखी गई वैश्विक राजनीति सक्षम कर सकती है। इसलिए इसे पाठ्यक्रम की शैक्षणिक सामग्री में शामिल करना महत्वपूर्ण है। इस पाठ्यक्रम के लिए जिंदल स्कूल ऑफ गवर्नमेंट एंड पब्लिक पॉलिसी और जिंदल स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज एक साथ आए हैं क्योंकि राजनीति और दर्शन के साथ अर्थशास्त्र की सूक्ष्म और कम हठधर्मी समझ की आवश्यकता है।”

जिंदल स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज की डीन प्रोफेसर कैथलीन ए. मोड्रोव्स्की ने कहा, “पीपीई की समझ के लिए शैक्षणिक दृष्टिकोण से छात्रों को केवल सैद्धांतिक अध्ययन और विचार के संकुचित संस्करण की शिक्षा देने से बचा जा सकता है। आज, भविष्य अज्ञात है। आप पुराने प्रतिमानों के माध्यम से नए समाधानों, नए उत्तरों के बारे में कैसे सोचेंगे और मौजूदा समस्याओं की पहचान कैसे करेंगे? हमारा दृष्टिकोण उन शिक्षाओं पर फोकस करेगा, जिसमें अनुभव और आपसी सहयोग से सीखना शामिल है – एक ऐसा क्षेत्र जिसमें आप और आपके मेंटर (जिनके पास सभी उत्तर नहीं हैं) एक सहयोगात्मक संवाद करेंगे। पाठ्यक्रम के एक अन्य महत्वपूर्ण फीचर में छात्र समाज में लोगों के साथ संवाद कर नए ज्ञान का निर्माण करेंगे। पीपीई कार्यक्रम का एक प्रमुख तत्व फील्ड में जाकर उन लोगों के अनुभवों को जानना होगा जो उस अनुभव को जी रहे हैं और जो अपनी समस्याओं की पहचान और व्याख्या कर सकते हैं। समाज के लोगों, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों के साथ सहानुभूति पैदा करना किसी समस्या के व्यापक विश्लेषण पर पहुंचने का एकमात्र तरीका है। समस्या समाधान के लिए इंटर्नशिप महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, शोध के अवसरों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान छात्र के सीखने के अनुभव को बढ़ाता है।”

ओपी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के जिंदल स्कूल ऑफ गवर्नमेंट एंड पब्लिक पॉलिसी के डीन प्रोफेसर आर. सुदर्शन ने कार्यक्रम की शुरुआत की और कहा, “दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र ह्यूमैनिटीज के आधारभूत पाठ्यक्रम हैं। दर्शन मूल्यों, आलोचनात्मक सोच और सवाल पूछने के बारे में है। पीपीई कार्यक्रम में शामिल दर्शनशास्त्र व्यक्ति को अन्य विषयों में सीखी गई बातों के प्रति आलोचनात्मक होना सिखाता है। हम चाहते हैं कि युवा सचेत रहकर और सक्षम रूप से महत्वपूर्ण निर्णय लेने में सक्षम हों। पीपीई जो एक काम करता है, और ऐतिहासिक रूप से करता आया है, वह है युवाओं को राजनीति में शामिल होने के लिए प्रेरित करना। जरूरी नहीं है कि व्यक्ति किसी चुनाव में निर्वाचित हो, लेकिन उसे राजनीति में सक्रिय रुचि लेनी चाहिए। सार्वजनिक जीवन में भूमिका निभाने की प्रेरणा उस स्थान से मिलती है, जहां हम रहते हैं और हमारे आसपास जो लोग रहते हैं। पीपीई के छात्रों को लॉजिक, रीजनिंग, नैतिकता, नैतिक दर्शन और आलोचनात्मक रूप से सोचने के बारे में आधारभूत समझ मिलती है। यह कार्यक्रम निरंतर जुड़ाव, सीखने और परीक्षण के बारे में है, जो छात्रों को सीखने और बढ़ने में सक्षम बनाता है।”

ओपी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रोफेसर दबीरू श्रीधर पटनायक ने समापन भाषण दिया।

–आईएएनएस

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