प्रयागराज: एक गरीब दलित लड़की जिसने अपनी काबिलियत के दम पर आईआईटी का एग्जाीम क्रैक किया, लेकिन उसके पास अपने एडमिशन के लिए फीस नहीं थी। ऐसे में उसने मदद के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर रुख किया। इस काबिल बेटी की मदद के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ आगे आई।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस दिनेश कुमार सिंह एक दलित छात्रा की योग्यता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने खुद उसकी फीस भर दी। उन्होंने जॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी और आईआईटी बीएचयू को भी निर्देश दिए कि छात्रा को तीन दिन में दाखिला दिया जाए। अगर सीट न खाली हो तो अतिरिक्त सीट की व्यवस्था की जाए।
शुरू से ही मेधावी छात्रा रही संस्कृति रंजन ने जेईई एडवांस और मेंस की परीक्षा आरक्षित वर्ग में पास कर ली थी, जिसके बाद उस आईआईटी बीएचयू में गणित और कंप्यूटर से जुड़े 5 साल के इंटीग्रेटेड कोर्स में सीट आवंटित की गई। बतौर अनुसूचित जाति श्रेणी में 2062 वां रैंक हासिल हुआ। उसके बाद वह जेईई एडवांस की परीक्षा में शामिल हुई जिसमें वह 15 अक्टूबर 2021 को सफल घोषित की गई और उसकी रैंक 1469 आयी।लेकिन संस्कृति दाखिले के लिए जरूरी 15 हज़ार रुपये की फीस तय समय में व्यवस्था नहीं कर पाई, जिसके बाद उसने फीस की व्यवस्था के लिए कुछ और समय की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी।
हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में छात्रा बताया कि उसके पिता की किडनी खराब हैं। उनकी बीमारी व कोविड की मार के कारण परिवार की आर्थिक हालत बुरी होने से वह फीस नहीं जमा कर पाई। उसने जॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी को पत्र लिखकर फीस जमा करने के लिए मोहलत मांगी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मजबूरन उसे कोर्ट आना पड़ा। उसने मांग की थी कि फीस की व्यवस्था करने के लिए कुछ और समय दिया जाए।
याचिका पर जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी और आईआईटी-बीएचयू को निर्देश दिया कि वह छात्रा को 3 दिन के भीतर एडमिशन दे और अगर सीट खाली न बची हो तो उसके लिए अलग से सीट की व्यवस्था की जाए। मामले की सुनवाई के लिए अगले हफ्ते के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश कोर्ट में दिया है।
——— इंडिया न्यूज स्ट्रीम