27 जून, 2021
नई दिल्ली: वीआईपी कल्चर देश की जनता पर किस तरह भारी पड़ रहा है, उसका अंदाज़ा ताज़ा घटना से लगाया जा सकता है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शुक्रवार को कानपुर तीन दिन के दौरे पर आए। एक सुपर वीआईपी के शहर में होने की वजह से कानपुर पुलिस ने जनता के लिए सारे रास्ते बंद कर दिए थे। कई घंटों के लिए कानपुर शहर की सबसे बिजी सड़कों से कोई गुज़र ही नहीं सकता था। जगह-जगह जाम लग गया, जिसे खुलवाने के लिए पुलिस नहीं थी। क्योंकि उसकी तो वीआईपी ड्यूटी लगी हुई थी।
कानपुर की एक कारोबारी महिला वंदना मिश्रा (आयु 50 साल) को कोविड था, शुक्रवार शाम को तबियत ख़राब होने पर उन्हें कार से अस्पताल ले ज़ाया जा रहा था लेकिन उनकी कार कानपुर के नंदलाल इलाक़े और गोविंदपुरी फ्लाईओवर के बीच फंस गई। पुलिस ने आगे रास्ता बंद कर रखा था। घर वालों ने बहुत दुहाई दी लेकिन पुलिस वालों ने रास्ता नहीं खोला। इसी जद्दोजहद में वंदना मिश्रा की मौत हो गई। वंदना इंडियन इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन (आईआईए) की महिला विंग की अध्यक्ष थीं।
शहर में खबर फैली तो लोग और कुछ तो कर नहीं सके लेकिन सोशल मीडिया पर ग़ुस्सा निकालने लगे। जिनके पेट भरे हुए होते हैं वो धार्मिक कार्यक्रमों में तो ज़रूर जमा हो जाते हैं लेकिन आंदोलन वग़ैरह नहीं कर पाते हैं। पर, सोशल मीडिया भरे पेट लोगों का भी मददगार बन चुका है। कानपुर के उद्योगपति ग़ुस्से में आए और बात राष्ट्रपति के कानों तक पहुँची।
फ़ौरन पीआर एक्सरसाइज़ शुरू हुई। शनिवार का पूरा दिन इसी पीआर एक्सरसाइज़ पर खर्च हुआ। ख़बर मीडिया को बताई गई कि राष्ट्रपति और उनकी पत्नी इस मौत पर बहुत दुखी हैं। उन्होंने पुलिस कमिश्नर और डीएम से ट्विटर (Twitter) पर माफ़ी माँगने और वंदना मिश्रा के घर जाने को कहा है। कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरूण उनके घर गए और माफ़ी माँगी। डीएम और पुलिस कमिश्नर वंदना मिश्रा की अंत्येष्टि में भी शामिल हुए। कानपुर पुलिस ने दोनों अफ़सरों का फ़ोटो परिवार के साथ ट्विटर पर जारी किया। इसके अलावा स्थानीय दरोग़ा और तीन अन्य पुलिस वालों को निलंबित कर दिया गया।
इस तरह एक सुपर वीआईपी के शहर में आने और जाम लगने से हुई मौत का पटाक्षेप हो गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बहुत पहले वादा किया था कि वो इस देश से वीआईपी कल्चर ख़त्म कर देंगे। इसी क्रम में उन्होंने हर ऐरे गैरे की गाड़ी पर लाल बत्ती लगाने पर पाबंदी लगवा दी थी। लेकिन मोदी की तमाम कोशिशों के बावजूद देश से वीआईपी कल्चर ख़त्म नहीं हो रहा।
रामनाथ कोविंद को जिस पार्टी ने राष्ट्रपति बनाया, उसका नाम भारतीय जनता पार्टी है। कोविंद कानपुर देहात के गाँव परौंख के रहने वाले हैं। राष्ट्रपति बनने से पहले जब वो परौंख से कानपुर शहर में आते थे तो उनके पास टूटी एम्बेसेडर कार भी नहीं थी। एक औद्योगिक शहर की भीड़ का अंदाज़ा उन्हें भी पहले से होगा।
वंदना मिश्रा अगर कानपुर के इलीट वर्ग से न होतीं तो शायद मीडिया इस खबर की चर्चा भी नहीं करता। किसी जन आंदोलन के दौरान किसी एम्बुलेंस को रास्ता न मिलने पर लोग फ़ौरन उस आंदोलन को कोसने लगते है। लेकिन वीआईपी क़ाफ़िलों के चलते होने वाली मौत अगर कोई वंदना मिश्रा जैसी हैसियत नहीं रखता है तो उसका कोई महत्व नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी ने समझदारी दिखाते हुए खुद को बंगाल की रैलियों के बाद 1, रेसकोर्स (लोक कल्याण) रोड के सरकारी घर में क़ैद कर लिया है। वो हर मीटिंग को वर्चुअल कर रहे हैं। संबोधन भी वर्चुअल होता है। शनिवार को उन्होंने अयोध्या की योजनाओं की समीक्षा भी वर्चुअल की। मोदी ने यह बैठक ऐसे समय की ज़ब अयोध्या में राम मंदिर के आसपास ख़रीदी गई ज़मीन में घोटाले के आरोप लगे हैं।
कम से कम मोदी ने अयोध्या संबंधित किसी बैठक में वहाँ जाने से खुद को रोक लिया, यह उनकी समझदारी है।
बहरहाल, वक्त आ गया है भारतीय महानगरों में बढ़ती भीड़ के मद्देनज़र रास्ते बंद कर वीआईपी कल्चर दिखाने का रिवाज बंद हो। ताकि आम लोगों की ज़िन्दगी और शहरों के यातायात पर असर न पड़े।
(यूसुफ किरमानी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)
–इंडिया न्यूज़ स्ट्रीम