फ़जल इमाम मल्लिक
पटना: बिहार में सत्ता परिवर्तन हो गया. हालांकि नीतीश कुमार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बन गए हैं लेकिन अब उनके सामने चुनौतियां भी हैं और मुश्किलें भी. भाजपा या कहें कि एनडीए से नाता तोड़ कर राजद के साथ मिल कर उन्होंने सरकार तो बना ली लेकिन नीतीश कुमार के लिए चुनौतियां कम नहीं हुईं हैं बल्कि उन्हें अब आग के दरिया से गुजरना होगा. हालांकि सियासी तौर पर नीतीश कुमार ज्यादा परिपक्व हो गए हैं और बिहार में उनके नेतृत्व क्षमता को चुनौती फिलहाल तो कोई देता हुए नहीं दिखता. इस सच के बावजूद कि सरकार को बाहरी और भीतरी दोनों तरह की चुनौतियां हैं. बाहरी चुनौती भाजपा से है और भीतरी राजद से. बाहरी चुनौती से नीतीश कुमार निपटने में सक्षम हैं.
लेकिन भीतरी चुनौती से निपटना उतना आसान नहीं होगा. हालांकि यह भी सच है कि तेजस्वी यादव भी थोड़ा संयमित दिख रहे हैं. लेकिन उनकी दिक्कत उनके समर्थक हैं जो जाने-अनजाने सरकार के सामने परेशानी खड़ी कर सकते हैं. सरकार बनने और फिर मंत्रियों के शपथ लेने के बाद से ही कई तरह की चुनौती सामने दिखाई दे रही है. इनसे नीतीश कुमार को निपटना है. हालांकि यह आसान नहीं दिखता है. राजद के कई मंत्रियों पर सवाल उठ रहे हैं. पिछला रिकार्ड खंगाला जा रहा है. कौन कितना दागदार है इसकी तफ्तीश भाजपा कर रही है. फिर तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव की सरकारी बैठकों में उनके जीजा और पार्टी कार्यकर्ता के शामिल होने पर आलोचना हो रही है. अगर ऐसा हुआ है तो गलत भी नहीं है. तेजस्वी को भी इस पर ध्यान देना होगा और तेजप्रताप यादव को भी. सरकार उनकी जागीर नहीं है कि जब चाहे जो चाहे बैठक में शामिल हो. बतौर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इसे गंभीरता से लेना होगा. पिछली बार नीतीश कुमार ने जब राजद से नाता तोड़ा था उसके पीछे भी इसी तरह के कई कारण थे.
नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता क्यों तोड़ा, इसका बहुत कुछ मतलब अब नहीं है क्योंकि बिहार में सियासी बदलाव हो चुका है. भाजपा के खेल से पहले ही नीतीश कुमार ने खेल कर दिया और भाजपा बिहार में सत्ता से पैदल हो गई. जदयू के पूर्व नेता आरसीपी सिंह पर कार्रवाई नहीं हुई होती तो बिहार में भी भाजपा खेला कर देती लेकिन नीतीश कुमार की सियासी समझ ने भाजपा को बिहार में चौराहे पर ला खड़ा किया है. हालांकि माना जा रहा है कि भाजपा आसानी से हार मानने वाली नहीं है. अभी ईडी-सीबीआई जैसे हथियार उसके पास हैं जिनका वह सियासी इस्तेमाल करने से नहीं चूकेगी. भाजपा सूत्रों की मानें तो अभी दागी नेताओं की कुंडली खोली जाएगी. कुछ चैनलों को इसके लिए बाकायदा मोटी रकम भी दी गई है. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को भी इस अभियान में लगाया गया है. लंबे समय से वनवास झेल रहे सुशील मोदी इसे अपने पुनर्वास की तरह देख रहे हैं. इसलिए वे वन डमरू बन कर रोज ही कुछ न कुछ बयान दे रहे हैं.
ऐसा कहा जा रहा है कि एक समानांतर अभियान केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की अगुआई में भी चलाया जाएगा. भाजपा नीतीश कुमार और उनके मंत्रियों को बदनाम करने के लिए हर हथकंडा अपनाएगी, भाजपा नेताओं का ऐसा कहना है. तेजस्वी पर तो यूं भी सीबीआई की जांच चल रही है. अब उनके कुछ दागी मंत्रियों की कुंडली खंगाली जा रही है. इनको अलावा भाजपा जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा सहित कुछ दूसरे नेताओं के खिलाफ भी मामला बनाने की कोशिश में है. ताकि जदयू और नीतीश कुमार की नैतिकता को चुनौती देकर लोगों को संदेश दिया जाए कि नीतीश कुमार और उनकी सरकार दागी व भ्रष्ट है. यह हमला चौतरफा होगा.
संभव है कि भाजपा सृजन घोटाला और मुजफ्फरपुर बालिका कांड पर भी नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश करे. लेकिन यह कान बहुत आसान नहं होगा. सृजन घोटाले में तो सुशील मोदी की दामन भी कम दागदार नहीं है. उनके वित्त मंत्री रहते ही घोटाला हुआ था और कहा जाता है कि सुशील मोदी ने ही सृजन को ननबैंकिंग के संचालन का लाइसेंस दिलवाया था. मुजफ्फरपुर कांड में भी भाजपा के कई नेताओं के नाम सामने आए थे. इसलिए भाजपा ने अगर इन दो मामलों को उछाला तो वह भी इस आग में झुलसेगी.
नीतीश कुमार की अगुआई में नई सरकार कब तक ठीकठाक चलेगी, इसे लेकर लोगों में कई तरह की आशंकाएं हैं तो उम्मीद भी है. नीतीश कुमार के नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं उठा रहा है. राजद कार्यकर्ताओं के स्वाभाव को लेकर लोग ज्यादा सशंकित हैं. इस चुनौती से नीतीश कुमार को पार पाना है. हालांकि वे इन चुनौतियों से अनजान नहीं हैं. पहले भी कई तरह की चुनौतियों से बिहार को वे उबार चुके हैं उम्मीद की जानी चाहिए कि नीतीश कुमार गठबंधन के नए साथियों के साथ बिहार को और बेहतर बनाएंगे. जिगर मुरादाबादी का एक शेर याद आरहा है ये इश्क़ नहींआसाँइतनाहीसमझलीजे, इकआगकादरियाहैऔरडूबकेजानाहै.नीतीश कुमार को इस आग के दरिया से फिर से गुजरना होगा. बिहार उनकी तरफ टकटकी लगाए तो देख ही रहा है, देश भी देख रहा है क्योंकि नीतीश कुमार के इस दांव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूरी भाजपा को भी चित कर डाला है. नीतीश कुमार के इस दांव की काट फिलहाल तो भाजपा नहीं खोज पा रही है.
—इण्डिया न्यूज़ इस्ट्रीम