नई दिल्ली, फ़ज़ल इमाम मल्लिक: बिहार में सियासी तापमान फान पर है। नीतीश कुमार समाधान यात्रा पर हैं लेकिन उनकी सरकार, दल और गठबंधन दोनों संकट में है। आम लोगों के मसलों के समाधान के लिए जिलों का दौरा कर रहे नीतीश कुमार गठबंधन और पार्टी में चल रही तनातनी का समाधान ढूंढ नहीं पा रहे हैं। राजद और जदयू में टकराव बढ़ रहा है तो जदयू के अंदर भी नीतीश कुमार की कार्यशैली को लेकर अब विरोध के स्वर उठ रहे हैं। राजद विधायक और पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह नीतीश कुमार पर हमलावर हैं। वे लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ बयान दे रहे हैं। फिर जयकुमार मंडल ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा फिर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरित मानस के दिए गण बयान के बाद पनपा और ताजा विवाद राजद के नेता और मंत्री आलोक मेहता के बयान से विवाद सामने आया है। आलोक मेहता ने सीधे-सीधे सवर्ण समाज को निशाना साधा और उन्हें अंग्रेजों का दलाल बताया था। जाहिर है कि इस पर तकरार है। फिर जदयू में पार्टी नेता उपेंद्र कुशवाहा के बयान से भी भूचाल है। इससे सरकार और महागठबंधन की फजीहत हो रही है। नीतीश कुमार पर सवाल उठ रहे हैं। पार्टी में भी उनके खिलाफ फुसफुसाहट है।
राजद अपने विधायकों पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है और सरकार इन सबका समाधान ढूंढ नहीं पा रही है। महागठबंधन की गांठ लगातार उलझती जा रही है। दोनों दलों के नेता बयानबाजी कर रहे हैं और इससे सरकार पर भी संकट है और महागठबंधन भी। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर रोज विवादों में घर रहे हैं। उनके बयान सरकार का संकट बढ़ा रहा है। रामचरित मानस पर दिए बयान पर जदयू ने सख्त रुख अपना रखा है, लेकिन चंद्रशेखर के ताजा बयान ने विवाद को और हवा दे डाला है। उन्होंने शिक्षित तेजस्वी, शिक्षित बिहार का नारा दिया। जाहिर है कि जदयू उनके इस नारे से बौखलाया और उसने जवाब में बढ़ता बिहार-नीतीश कुमार, ट्वीट वाली नहीं काम की सरकार और शिक्षित कुमार, शिक्षित बिहार का नारा उछाल कर चंद्रशेखर को करारा जवाब दिया और राजद को भी।
राजद नेतृत्व तय नहीं कर पा रहा है कि वह क्या करे। तेजस्वी यादव ने सुधाकर सिंह पर भी कार्रवाई की बात की थी लेकिन अब तक न तो सुधाकर सिंह पर कार्रवाई हुई और न ही चंद्रशेखर से भी जवाब तलब किया गया है। घमासान बढ़ता जा रहा है और हर आने वाले दिन में टकराव बढ़ रहा है। हालांकि राजद ने टकराव खत्म करने के लिए बुधवार को सुधाकर सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया है लेकिन क्या सचमुच कोई कार्रवाई सुधाकर सिंह पर होगी। और अगर सुधाकर सिंह पर कार्रवाई होती है तो फिर चंद्रशेखर पर क्यों नहीं। सियासी पंडितों का मानना है कि चंद्रशेखर ने तो भाजपा को बैठे-बैठाए मुद्दा दे डाला है। उनके बयान से राजद के सवर्ण नेता भी नाराज हैं। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रशिवानंद तिवारी ने तो खुल कर बयान दिया है और प्रेस कांफ्रेंस में प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से भिड़ गए।
लेकिन शिक्षित तेजस्वी वाली बात के बाद जदयू ने पलटवार करने में देर नहीं की और राजद को लालू राज का आईना दिखा कर शिक्षा के क्षेत्र में नीतीश कुमार की अगुआई में बिहार में क्या कुछ हुआ है उसे बयान कर राजद को बैकफुट पर ढकेल दिया है। दोनों तरफ से बयानों के तीर चल रहे हैं। तेजस्वी यादव के सामने दोहरा संकट है। सरकार को बचाने और पार्टी नेताओं पर अंकुश लगाने का। माना जारहा है कि नीतीश कुमार ने भी साफ कर दिया है कि चंद्रशेखर पर राजद को अंकुश लगाना होगा। नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव भाजपा की पिच पर नहीं लड़ना चाहते हैं। वे भाजपा को सामाजिक न्याय के अपने पिच पर लाकर खेलना चाहते हैं। जातीय जनगणना की शुरुआत कर उन्होंने इसके संकेत भी दिए। हालांकि उनके कुछ बयानों से जदयू नेता भी आहत हैं और कहा जा रहा है कि गुटबाजी बढ़ गई है। नीतीश कुमार इससे कैसे पार पाते हैं, बड़ा सवाल यह है। सरकार सांसत में है और गठबंधन भी। घमासान बढ़ रहा है और नेताओं के बयान नहीं थम रहे हैं। गठबंधन की सेहत के लिए यह ठीक नहीं है। दोनों दल इस पर जितनी जल्दी लगाम लगाएं गठबंधन की सेहत के लिए यह जरूरी है। बड़ा सवाल जदयू को लेकर भी है। पार्टी का जनाधार सिमट रहा है। कुढ़नी उपचुनाव में मिली हार के बाद से जदयू में बवाल मचा है। उपेंद्र कुशवाहा ने कमजोर होती पार्टी की बात की तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को यह बात पसंद नहीं आई। विवाद गहरा रहा है। इससे पार्टी का नुकसान हो रहा है और कार्यकर्ताओं में संदेश ठीक नहीं जा रहा है। नीतीश कुमार जितनी जल्द इसे समझ लेते हैं पार्टी के लिए उतना ही अच्छा है। क्या वे ऐसा कर पाएंगे, बड़ा सवाल यह है।
————- इंडिया न्यूज़ स्ट्रीम