मुंबई । भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच भारत विदेशी मुद्रा के अपने भंडार को मजबूत करने में लगा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को बताया कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार 700 अरब डॉलर को पार कर गया है।
आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 27 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 12.588 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 704.885 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह जुलाई 2023 के बाद का सबसे बड़ा उछाल है।
इसमें सर्वाधिक योगदान फॉरेन करेंसी एसेट्स का रहा जो 10.468 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 616.154 अरब डॉलर हो गया।
चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद भारत चौथा देश है जिसके पास 700 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है।
केंद्रीय बैंक के अनुसार, 27 सितंबर को समाप्त सप्ताह में स्वर्ण भंडार भी 2.184 अरब डॉलर बढ़कर 65.796 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
विशेष आहरण अधिकार में 80 लाख डॉलर की मामूली वृद्धि हुई और यह 18.547 अरब डॉलर तक पहुंच गया। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास देश की आरक्षित निधि में 7.1 करोड़ डॉलर घटकर 4.387 अरब डॉलर पर आ गई।
इस वर्ष देश में विदेशी निवेश 30 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। भविष्य में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में और वृद्धि होने का अनुमान है। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश को अपनी स्थिति मजबूत करके, विदेशी निवेश को आकर्षित करके और घरेलू व्यापार तथा उद्योग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के गहराने के बावजूद, विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड सर्वकालिक उच्च स्तर पर है। रुपया अब प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे स्थिर मुद्रा है। देश में इस समय मजबूत घरेलू निवेश देखने को मिल रहा है। ऋण बाजारों में एफपीआई प्रवाह भी बढ़ा है।
सकारात्मक एफपीआई प्रवाह ने देश में रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा स्तर हासिल करने में मदद की है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार आरबीआई को मौद्रिक नीति और मुद्रा प्रबंधन में अधिक लचीलापन प्रदान करता है।
–आईएएनएस