प्रख्यात नारीवादी कार्यकर्ता एवम लेखिका कमला भसीन का आज तड़के निधन हो गया। वह 75 वर्ष की थीं।उनके परिवार में एक पुत्र है।
24 अप्रैल 1946 में जन्मी कमला भसीन ने 27 वर्षों तक संयुक्त राष्ट्र में काम करने के बाद नौकरी छोड़कर संगत संस्था के लिए काम करने लगीं।उन्होंने औरतों की आज़ादी और उन्हें अधिकार दिलाने के लिए बड़ा काम किया था और भारत मे नारीवादी आंदोलन का वह एक प्रमुख चेहरा थीं
उन्होंने पितृसत्ता और जेंडर पर काफी विस्तार से लिखा है.। उनकी प्रकाशित रचनाओं का करीब 30 भाषाओं में अनुवाद हुआ है. उनकी प्रमुख रचनाओं में लाफिंग मैटर्स (2005; बिंदिया थापर के साथ सहलेखन), एक्सप्लोरिंग मैस्कुलैनिटी (2004), बॉर्डर्स एंड बाउंड्रीज: वुमेन इन इंडियाज़ पार्टिशन (1998, ऋतु मेनन के साथ सहलेखन), ह्वॉट इज़ पैट्रियार्की? (1993) और फेमिनिज़्म एंड इट्स रिलेवेंस इन साउथ एशिया (1986, निघत सईद खान के साथ सहलेखन) शामिल हैं।
उनकी पढ़ाई लिखाई राजस्थान विश्विद्यालय से हुई और फिर उन्होंने जर्मनी से सोशिलॉजी एंड डेवलोपेमेंट में पढ़ाई की।उसके बाद वह फ़ूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाईजेशन में 2002 तक तक काम किया।